मराठी भाषा शिकताना “मात्रा” हा भाग सर्वात महत्त्वाचा असतो. मराठी अक्षरांमध्ये स्वर (Vowels) आणि व्यंजन (Consonants) असतात. स्वर स्वतंत्रपणे उच्चारले जाऊ शकतात, तर मात्रांचा उपयोग व्यंजनांना स्वराचा आवाज देण्यासाठी केला जातो.
मात्रा म्हणजे काय?
“मात्रा” म्हणजे स्वराचे चिन्ह जे व्यंजनावर जोडले जाते.
उदाहरणार्थ:
- क + ा = का
- प + ी = पी
- स + े = से
म्हणजेच, मात्रा व्यंजनाला स्वराचा उच्चार देतात.
मराठी स्वर आणि त्यांचे उच्चार
मराठीत खालील स्वतंत्र स्वर वापरले जातात:
| स्वर | उच्चार | इंग्रजी समानार्थ |
|---|---|---|
| अ | अ | a |
| आ | आ | aa |
| इ | इ | i |
| ई | ई | ee |
| उ | उ | u |
| ऊ | ऊ | oo |
| ए | ए | e |
| ऐ | ऐ | ai |
| ओ | ओ | o |
| औ | औ | au |
| अं | अं | am / an |
| अः | अः | aha |
| ऋ | ऋ | ri |
| ॠ | ॠ | rri |
मराठी मात्रा चार्ट (Marathi Matra Chart)
खाली व्यंजन अक्षरावर लावल्या जाणाऱ्या सर्व मात्रांचे उदाहरण दिले आहे.
येथे “क” हे मूळ व्यंजन घेतले आहे:
| मात्रा चिन्ह | संबंधित स्वर | उदाहरण (क + मात्रा) | शब्द उदाहरण |
|---|---|---|---|
| अ | – (मूळ स्वर) | क | कल, कमल |
| ा | आ | का | काम, राजा |
| ि | इ | कि | किताब, दिवस |
| ी | ई | की | कीर्ती, पीक |
| ु | उ | कु | कुल, सुगंध |
| ू | ऊ | कू | कूल, भूषण |
| े | ए | के | केले, नेते |
| ै | ऐ | कै | पैस, मैत्री |
| ो | ओ | को | मोर, दोष |
| ौ | औ | कौ | मौज, सौंदर्य |
| ृ | ऋ | कृ | कृपा, मृत्यु |
| अं | अं | कं | संग, अंग |
| अः | अः | कः | दुर्लभ (संस्कृतनिहित शब्द) |
मराठी मात्रा असलेले शब्द (Words with Matra Examples)
१. “आ” मात्रा (ा) असलेले शब्द
काम, राजा, माता, हळवा, काना, शाळा
२. “इ” मात्रा (ि) असलेले शब्द
किताब, दिपक, सिरी, निखिल, पिठ, दिवस
३. “ई” मात्रा (ी) असलेले शब्द
पीक, मीठ, दीपा, राणी, मील, सीमा
४. “उ” मात्रा (ु) असलेले शब्द
पुस्तक, गुलाब, सुमन, शुभ, पुणे
५. “ऊ” मात्रा (ू) असलेले शब्द
फूल, दूषित, लूण, भूषण, झूला
६. “ए” मात्रा (े) असलेले शब्द
देव, खेळ, केशर, नेते, केले
७. “ऐ” मात्रा (ै) असलेले शब्द
मैत्री, पैशा, ऐक, बैल, जैव
८. “ओ” मात्रा (ो) असलेले शब्द
मोर, दोष, बोल, तोड, दोर
९. “औ” मात्रा (ौ) असलेले शब्द
मौज, सौंदर्य, कौशल्य, गौरी, चौकट
१०. “अं” असलेले शब्द
संग, अंग, मंथन, रंग, संधी
बाराखडी म्हणजे काय?
“बाराखडी” म्हणजे प्रत्येक व्यंजनावर सर्व स्वरमात्रा लावून तयार होणारे रूप.
उदाहरणार्थ, क ची बाराखडी अशी दिसते:
क, का, कि, की, कु, कू, के, कै, को, कौ, कं, कः
त्याचप्रमाणे:
ग, गा, गि, गी, गु, गू, गे, गै, गो, गौ, गं, गः
या प्रकारे सर्व व्यंजनांचे स्वररूप एकत्र मिळून मराठी बाराखडी (Marathi Barakhadi) तयार होते.
मात्रा वापरण्याचे नियम
- व्यंजनावर मात्रा जोडली जाते – स्वर स्वतंत्र राहतो.
- अनुस्वार (अं) वापर नाकातील ध्वनी दर्शवतो.
- विसर्ग (अः) फक्त संस्कृत शब्दांमध्ये दिसतो.
- काही मात्रा (ॄ) अतिशय क्वचित वापरल्या जातात.
- उच्चार नेहमी शुद्ध ठेवावा — मात्रा बदलल्याने अर्थही बदलतो (उदा. कल / काल).
5 वारंवार विचारले जाणारे प्रश्न (FAQs)
1. मराठीत किती मात्रा आहेत?
मराठीत एकूण १२ प्रमुख मात्रा आहेत — (ा, ि, ी, ु, ू, े, ै, ो, ौ, ृ, अं, अः).
2. मात्रा आणि स्वर यात काय फरक आहे?
स्वर स्वतंत्रपणे उच्चारले जातात (अ, आ, इ, ई इत्यादी), तर मात्रा हे त्या स्वरांचे व्यंजनावर लावलेले चिन्ह असते (ा, ि, ी इत्यादी).
3. “ऋ” मात्रा का क्वचित वापरली जाते?
“ऋ” आणि “ॠ” स्वर हे संस्कृतमधून आलेले आहेत; मराठीमध्ये त्यांचा वापर कमी आहे कारण आधुनिक शब्दरचना साधी केली आहे.
4. “अं” आणि “अः” कधी वापरतात?
“अं” म्हणजे नासिक ध्वनी (उदा. अंग, संग).
“अः” म्हणजे हलका श्वास ध्वनी (संस्कृत शब्दांत जसे – दुःख, सः).
5. बाराखडी शिकणे का आवश्यक आहे?
बाराखडी शिकल्याने सर्व व्यंजन–स्वर संयोजन लक्षात राहतात आणि वाचन, लेखन व उच्चारण शुद्ध होते.
निष्कर्ष
मराठी मात्रा चार्ट हे मराठी भाषेच्या शिक्षणाचे मूलभूत पाय आहे.
स्वर आणि मात्रा यांचे योग्य ज्ञान असल्यास विद्यार्थ्यांना बाराखडी, उच्चार, आणि लेखन सहज समजते.
मात्रांचे योग्य अभ्यास केल्याने मराठी भाषेचे वाचन व लेखन दोन्ही समृद्ध होते.